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भारत का संक्षिप्त इतिहास (स्वतंत्रता-पूर्व)

चाक्षुष मनु के चौथे पुत्र एवं जानन्तपति महाराजा अत्यराति के भाई का नाम पुर था। इनकी राजधानी एलबुर्ज पर्वत के निकट पुरसिया था। इन्हीं के नाम पर ईरान का नाम पर्शिया पड़़ा।

क्या आप जानते हैं भारतीय इतिहास की इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में?

पश्चिमी चालुक्य – प्रतीच्य चालुक्य पश्चिमी भारत का राजवंश था जिसने २१६ वर्ष राज किया।

महा-मेघा-वाहन राजवंश (२५० ई.पू.–४०० ईसवी)

दिल्ली में प्रसिद्ध लाल किला का निर्माण शाहजहाँ ने अपने रंग महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़वासस्व के साथ करवाया था।

नन्द-मौर्य युगीन भारत (गूगल पुस्तक ; लेखक - नीलकान्त शास्त्री)

सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से

एक तनशाह जिसके मरने के बाद महिला ने किया उसके शव पर पेशाब

तराइन का दूसरा युद्ध (पृथ्वीराज तृतीय को मोहम्मद गोरी ने हराया)

इसके अलावा एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित प्राचीन भारतीय उपनिवेशों से पाये गये स्मारकों से भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के संबंध में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ मिलती हैं। जावा का स्मारक बोरोबुदुर और कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर इस दृष्टि से पर्याप्त उपयोगी हैं। मलाया, बाली और बोर्नियो से मिलनेवाले कई छोटे स्तूप और स्मारक बृहत्तर भारत में भारतीय संस्कृति के प्रसार के सूचक हैं।

दानपत्रों के विवरणों से राज्य की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति का ज्ञान होता है। नालंदा-ताम्रपत्र के ‘सम्यग् बहुधृत बहुदधिभिर्व्यन्जनैर्युक्तमन्नम्’ से भोजन के उच्चस्तर का पता चलता है। व्यापार क्षेत्र में निगमों तथा श्रेणियों का उल्लेख अभिलेखों में मिलता है। कुमारगुप्त के मंदसोर अभिलेख में पट्टवाय श्रेणी द्वारा सूर्यमंदिर के निर्माण तथा पुनरुद्धार का वर्णन है। उनके द्वारा बुने रेशम विश्वविख्यात थे। निगमों द्वारा बैंक का कार्य करने का भी उल्लेख मिलता है।

यह विषय निम्न पर आधारित एक श्रृंखला का हिस्सा हैं:

मध्यकाल के website प्रारम्भ को लेकर इतिहासकारों के बीच मतभेद जहाँ कुछ इतिहासकार इसे गुप्त राजवंश के पतन के बाद ५-छटी शताब्दी के बाद से शुरू हुआ मानते है जबकि कुछ इसे ७-८वीं शताब्दी से शुरू हुआ मानते है। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद और दिल्ली सल्तनत के शुरू होने के बीच भारतवर्ष कई छोटे राज्य में बटा हुआ था। हलांकि कई साम्राज्यों ने इसे पुनर्गठित करने की कोशिश की लेकिन ज्यादा समय के लिये नहीं कर सके। इस दौर में सबसे महत्वपूर्ण गुर्जर-प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट साम्राज्य के बीच त्रिपक्षीय संघर्ष और भारत पर मुस्लिम आक्रमण का शुरूआत रहा। उस दौर के कुछ राजवंश जिन्होनें शासन किया।

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